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पंदव परिजन सहित विदेवू जाहि राम पद गूड सरवू योग भोग महम राखेओ गोयी राम विलोकत परदटेवूमहराज जनक जी ने एना कुटुम ना तमाम सदश्यो सहित परणाकरण जेनो परेम गूपत छेजने पता ना योग ने भोग मा चचपावी राखेलोएतो राम दरशन करय तयरे यओग फुटी निकलोबकि जने योग ने भोग मा चचपावी राखेलोजने परेम गूपत छेतुलसी कहे एना एक एक पातरो नेएना कुटुंडिओ ने केम वयक्त करवाअतले रामायन मा जनक परिवार ने बहु बनदन नतीवयच उपय मा इतले गणा लोको आलवचना करवाके उरमिला ने अन्याय थेओ शरति किरती ने अन्याय थेओमांडवी ने अन्याय थेओ रामायण ना सिताजी नाज पातर ने उपर लावव आमायवउरमिला ने गणा विद्वान वानी आलोच ना करता अंगळा यहा पर मारे कवल एतलू चकयवू कयवू कयवूजनक नो आकु कुटूं यहा रामायन नो पायव सहारदिवाल उपर रनग करि शकाय पाया उपर कोई दिवस रनग कय चितर दरव सहारजय माणस पाया ने खोदी ने चितर दरवा नो परयास करसेएक दिवाल ने पाडवा ने बुद्धि परव कोशिश करतो गरासपायव दटायलो होय बुरायलो होय देखायनेएम जनक नी उरमिला शरती एनी जे पुतरी ओछे मंदवीआबदा तो रामयन नी उमारत नो एक पायो छरते देखायलो पायव चे जनक ना पात्रो जनक ना कुतल्योलोगो आज सुधी आलोच ना करे जे बस उर्मिला ने एन्याय थे योपर उर्मिला नु नाम कवियो नी कलम थी लखी शकायू नेकवियो नी कविय शक्ती तूटी के आ वयक्ती मा ते शब्द ओचा पड़े आमे मओन ज अरपण कराअमक वयक्तित्व जवा है एने परणामच करा एनी सामे परवचन नथई शकाअमक वयक्ती ने परणाम चहई शकए अमक वयक्ती ने वनदन चहई शकए एना उपर वरण शक्य नथई शकाअमक वयक्ती ने परणाम चहई शकए एना उपर वरण शकए एना उपर वरण शकाएक परशन राम जी एस्थिता जी नो सगरभा स्थिती मा त्याग करे एराम नी मोटा मोटी भूलवरण शकए एक परशन राम जी एस्थिती मा त्याग करे एराम नी मोटा मोटी भूलपरछा सपड करगीदा परछाअगगिकत मा चर्चा करवा जी उस मारे सवराष्ट मा तमहरे सामिलूखु छेएक माणस दुकाने गौल खरिदेवा गया।मैंने के परसंग है जा जो गौल लेवातबसि गयू बहई थोड़ो गौल नमुनानू बता वा दुमारेगौल खरिदु वादुकान दारे गौल आ गोलबलाई अम अतयले मं गौल लेवाअम जरा चोळे, तपास वोपाँच मिनित आमां करिओ बजि गयूवेपरी किदू हतो नाई, तय चोळी न करि दिदोपाँच मिनित जरा आमां करिओ ने एमाते आचिकणो करि नागयोएम रामायण ना पात्रो ने परसंगो चरचासपद हता ने अमऊक विवेचको यए चोळी ने चिखणा करि दिदो हता �उने पहचल ना कितला महतव ना कारणो स्यवने एक कारणो ने आपको बतागलोराम जी एक सीता जी नो त्याग करयो इने पहचल ना अनेक कारणो कयवाय सगरभा स्थयती मा सीता नो कयवाएमारु एक तराग आप गमबीरता से सोचेसीता सवपरधम एपरशन जे पुतरी कानेजनक ने बिकरी ने थीजनक एना पालक पिता जीएवी कथा जी के जमील खेडता चास माठीगडव निकलो ने माठी सीता जी निकलयागडव निकलो ने माठी सीता जी निकलो ने माठी सीता जीइतलके सीता जी रुशी ने पूतरी जीरुशी ना खुण माठी सीता जीजे रुशी नो रक्त गडा माठी यतू एमाठी सीता नो एक जनमसीता जी ने एक वायत आजसीता मूळ रुशी ने कण्यगनजनके ना पालक पिता जोअवे अयोध्या माठी सीता जी नो त्याग जेनेजनक तो पालक पिता जेनेतो महराज कयक एवि योजना गडवके हूं मारा पीयर मा बालक नो जनम आगतअन्ते थे एक विचार पुरवटएक योजना पुरवटअखि यओजना गडवाम आवीअने सीता जी ने आरिते रशीओ ना आशरम ना पुतरीपरथम बालक नो जनम पुता ना माता पिता ने कयारती होैअने सीता जी ने रशीओ ना आशरम ना मकुरवा मागाइनी पाछर ना हेतू कयक आवाजपरसंगो इतला वदा चरचा सकर नदी जरतला मैन तमय यने करिवादजनक महराज नु आकु कुटम सिता, उरमिला, शरती, मांडवीएक एक पाछर नु शु वरण करिवादजनक परिवादपदरतन रचम मांग मांगलक्षमन जी सदव मनने सथव रखवांपदरतन रचम मांग सदव रखवाणउपदर हया सदव वदवयवसनयद बुज आजवअधन जमनवटरतन रचममातवरगू कुल मा पुत्रवदुरगू कुल मा पुत्रवदुरगू कुल मा पुत्रवदुमत्य पारणमत्य पारणमिन पारणम्तह पारणपारणमिन पारणमत्य पार्णमत्य पारणभाइवQinबाधवल्कलशुरुतीकारणसहाँ कारणकरणवदवननीतिवन्वास्तवन्वास्तवदवननीतिनीतिकरटावन्वास्तवन्वास्तवन्वास्तवन्वास्तवन्वास्तवन्वास्तवन्वास्तवन्वास्त