बोला संकर भगवानों की जैए
सिव पुरानिक कथा है भन्तों सुलो जारा ध्यान लगाए कथा बिजै है गुप्तनाथ की
भवसागर भी पार हो जाए कथा बिजै है गुप्तनाथ की
एक बार कैलाश पयाए करे घोर तपस या भस्मासुर
बम संकर मन हर सिति आए पुछे अपनी इच्छा बतलाओए
कहे बतमा सुर सीर नवाए मुझे ऐसा बर देना स्वामी
जिसके उपर हाथ रखू दहिना जल कर भसम हो जाए स्वामी
जिसके उपर हाथ रखू जल कर भसम हो जाए स्वामी
मालिक मेरों मन हर सादे बात समझ भोला मुशकाए
कहे की खुश हुआ मैं भगता सक्त दिया हूं लो यजमाए
पाकर सक्ती छुडा है भगती
भगती
जोर जोर से लगा ठठाए देखा सुन्दर गौरा प्यारी
फिर नहीं ऐसा याउ सड़ियाए सोचा मिटा दू जग से सिव को
चल दिया सिव पर हाथ उठाए भागे भोला नब मंडल में
भागे भोला नब मंडल में दिवतों में हल चल मच जाए बोरे संकठ यान पढ़ियो है
गगन में नहीं अस्थान दिखाए चीर दिये परवत सुगी खोँ को
अंदर जाके गए लुकाए पहुचा दानों गुफा निहारे
सोचे बिश्नू घुसना जाए हो गई अब बरदास से बाहर
मोहनी रूप लिये बनाए पूछा कौन हो सुन्दरी रानी
पटरानी लुंग तुझे बनाए कहें मोहनी परिलो किसे आई
ठीक राजा पहले सुनो जारा ध्यान लगाए मेरे साथ नाचन होगा
ताल से ताल गर्थाया मिला हो जाओंगी मैं राजी
मगंदानों नाच दिखाए हो गई भूल भारी रखा
जब अपने सिर्फा हाथ उठाए खुद से भसम हुआ है पापी
पुर्वना विक्रा सुर कहाए चर्चित हुआ है फिर भोले
आगे की सुनिये दस्तान सपन दिखा है सिंगराउली राजा
बचना सिंगराउली राजा को गुपते स्वर सपन दिखा है चल दिये लेकर सेना भारी
जैसे पहुँचे बंधा गाँ पुछे लगे गाँ हाँ बैगा से
वहाँ से चितरियां दिये पहुचाए कहे कि खुश हुआ मैं नितरों
तीन दिन तीन रात खो जाए कही नजर ना याए भोले
कैसे मुह दिखलाओं स्वामी अब नहीं लोटू अपनी दरबार
फिर राजा राट में सपन है देखी आओ एकेले दर्शन को पाए
एक बर्ब चारी गुफा में दिये गुसाए सची कहानी गुपतनाथ की
बाहर निकला किया परचार सुनिये कहानी गुफतनाथ की